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Sunday, 16 August 2020
Saturday, 15 August 2020
Ghazal
ये मसअला है दोस्तों दूश्वर क्या करें।
गिरती नहीं है बीच की दीवार क्या करें।
शाहों के हैं निशान न दरबार क्या करें।
पायल न धुन न लय है न झंकार क्या करें।
अपनी समझ में आया ना दुनिया का फलसफा।
अब आप ही बताइए सरकार क्या करें।
इस वास्ते भंवर में है कश्ती कमाल अब।
हाथों से अपने छिनगइ पतवार क्या करें।
मंसूर अली कमाल
चन्दन पूरी खरगोन (म. प्र.)
contact :- Mansoorkamal555@gmail.com
Nisbat
निस्बत का मिल रहा है सिला हम मज़े में हैं।
मैख़ाना यार का है खुला हम मज़े में हैं
ऐसे सखी का हाथ है माथे पे अपने आज।
ग़म हमको क्या सताए भला हम मज़े में हैं।।
हमने तो पी रखी है निगाहों से यार की।
साक़ी हमें न और पिला हम मज़े में हैं।।
तेरे करम से आज है सब कुछ हमारे पास।
किस बात का हो हमको गिला हम मज़े में हैं।।
आई न मुश्किलें कभी राहों में हमारी ।
ऐसा सखी है हमको मिला हम मज़े मे है ।।
रंग डाला ऐसे रंग में "शारिक़" हुज़ूर ने।
जो रंगे पंजेतन है मिला हम मज़े में हैं।।
शायर:- शारीक़ अली शारीक़
खरगोन म.प्र.
contact:- shariqali555@gmail.com
Ghazal
जानेजाँ मुस्कुराना तेरा
ये हंसी का भरोसा नहीं।
क़त्ल कर देगी क़ातिल अदा
ज़िन्दगी भरोसा नही ।।
अबरुएँ क़ातिलाना तेरी
और ये नज़रों की जादूगरी ।
रुख पे ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीर की
हथकड़ी का भरोसा नहीं।।
प्यार के नाम पर हर घड़ी
बे वफ़ाई ही मुझको मिली।
चोटें खाई हैं दिल पे बोहोत
अब किसी का भरोसा नही।।
हुस्न वालो के चक्कर मे तुम
फंस न जाना कही दोस्तों
दुश्मनी ठीक इनकी नहीं
दोस्ती का भरोसा नहीं ।।
है ये शारिक़ मेरा तजरबा
इसके चक्कर मे आना न तुम ।
ये डुबो देगी एक दिन तुम्हे
आशिक़ी का भरोसा नही ।।
शायर:- शारीक़ अली शारीक़
खरगोन म.प्र.
contact:- shariqali555@gmail.com
Shahadat
नबी के दीन के रहबर हुसैन ज़िन्दा हैं।
के जिससे राज़ी है दावर हुसैन ज़िन्दा हैं।
मिनिस्टरों के मिनिस्टर हुसैन ज़िन्दा हैं।
हुसैनियों के गवर्नर हुसैन ज़िन्दा हैं।।
उन्ही का ख़ौफ़ है क़ायम जो आज दुनिया में।
लरज़ रहे है सितमगर हुसैन ज़िन्दा हैं
यक़ीन गर नही आए तो देख लो तुम भी।
कलामे पाक को पढ़कर हुसैन ज़िन्दा हैं।
उन्ही के सद्के़ जहाँ में बुलंद है अब तक।
सदाए अल्लाहो अकबर हुसैन ज़िन्दा हैं।
हुसैन मर गये केहना हराम है हम पर।
हमारे क़ल्ब के अंदर हुसैन ज़िन्दा हैं।
क़ज़ा खड़ी है मेरे इन्तेज़ार में लेकिन।
मैं जी रहा हूँ ये सुनकर हुसैन ज़िन्दा हैं।।
उन्ही की राह पे चलते रहो सदा शारिक़।
क़सम ख़ुदा की हैं हक़पर हुसैन ज़िन्दा हैं।।
शायर :- शारीक़ अली शारीक़
खरगोन म.प्र.
contact:- shariqali555@gmail.com