बुज़दिल थे दोस्त भाग गए बैठ कार मा।
मैं फसमरा अकेला ही उन तीन चार मा।
ना दांत टूटते नहीं मुँह फूटता ''सिफर''।
होते बिरेक फेल नहीं गर उतार मा।
Shair :- Shafaqat Ali Siffer khargone M.P.
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