Saturday, 15 August 2020

Ghazal



ये मसअला है दोस्तों दूश्वर क्या करें।
गिरती नहीं है बीच की दीवार क्या करें।

शाहों के हैं निशान न दरबार क्या करें।
पायल न धुन न लय है न झंकार क्या करें।

अपनी समझ में आया ना दुनिया का फलसफा।
अब आप ही बताइए सरकार क्या करें।

इस वास्ते भंवर में है कश्ती कमाल अब।
हाथों से अपने छिनगइ पतवार क्या करें।

मंसूर अली कमाल 
चन्दन पूरी खरगोन (म. प्र.)
contact :- Mansoorkamal555@gmail.com

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