जानेजाँ मुस्कुराना तेरा
ये हंसी का भरोसा नहीं।
क़त्ल कर देगी क़ातिल अदा
ज़िन्दगी भरोसा नही ।।
अबरुएँ क़ातिलाना तेरी
और ये नज़रों की जादूगरी ।
रुख पे ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीर की
हथकड़ी का भरोसा नहीं।।
प्यार के नाम पर हर घड़ी
बे वफ़ाई ही मुझको मिली।
चोटें खाई हैं दिल पे बोहोत
अब किसी का भरोसा नही।।
हुस्न वालो के चक्कर मे तुम
फंस न जाना कही दोस्तों
दुश्मनी ठीक इनकी नहीं
दोस्ती का भरोसा नहीं ।।
है ये शारिक़ मेरा तजरबा
इसके चक्कर मे आना न तुम ।
ये डुबो देगी एक दिन तुम्हे
आशिक़ी का भरोसा नही ।।
शायर:- शारीक़ अली शारीक़
खरगोन म.प्र.
contact:- shariqali555@gmail.com
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